सरकारी शायरी :-
ये रास्ता भी अब बहुत वीरान हो गया है ,
पढ़ लिख कर भी ,
बिना सरकारी नौकरी के बेरोजगार हो गया है |
अपना ख्वाबो का आसिया सपनो में बना रहे है ,
न जाने कितनो की जिंदगी ले ली ,
फिर भी इस सरकारी नौकरी से ही सब दिल लगा रहे है |
ये जानते है , कि न मिलने पर सरकारी नौकरी ,
ये जोश जवानी सब डूब जाएगा ,
फिर भी इस सरकारी नौकारी के पीछे अपनी जवानी लुटा रहे है |
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एक रोग हो गया है ,
उन लोगो में ,
जो पढ़ लिख कर बेकार हो गए है |
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अक्सर पढ़े लिखे ही बेरोजगार होते है ,
बिना पढ़े लिखे हर काम को करने के लिए तैयार होते है |
कम पढ़े लो न कभी बेकार होते है ,
न घर बैठे बेरोजगार होते है |
सुकून का जीवन जीते है ,
न कोई टेंसन किसी बात का लेते है |
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सरकारी नौकरी चाहिए तो ,
बिस्तर पर सोना कम कर दो ,
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Government Job shayari
जो संघर्ष करते है वही निखर जाते है ,
जो संघर्ष नहीं करते वह टूट कर बिखर जाते है |
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पाने की चाह इतनी रखो ,
संघर्ष करने का जोश अंदर भर आये ,
इतना तपाओ अंदर से ,
ओ सरकारी नौकरी आपके हाथ में हो |
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चाहे सरकारी हो या प्रावेट हो ,
हर ओर संघर्ष करना पडेगा,
अगर मुकाम ऊचा होगा तो हर रोज रात को जगना पड़ेगा |
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अक्सर चमकते वही है ,
जो खुद को ही खूब जलाते है
हर रात उस सरकारी नौकरी के पीछे ,
अपनी नीद को गवाते है |
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तेरी यादो में हम अब पागल हो गए है ,
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सरकारी नौकरी शायरी
सरकारी नौकरी के पीछे ,
जिंदगी एक मजाक सी हो गयी है ,
इतना इसके पीछे फेल हो रहे ,
कि ओ हमें अब नालायक निकम्मा समझने लगी है |
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ओ कह रहे थे ,
ये बगड़ गया, ये क्या बनेगा |
उस समय इतनी आग थी ,
कि जब बिगड़ रहे थे तो बस
बिगड़ ही रहे थे ,
जब हममे कुछ करने की चाह जगी तो ,
और उसके पीछे संघर्ष करने की एक आदत लगी ,
ओ सफलता भी मुस्कुरा के मुझसे गले लगी |
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नौकरी भी एक छोकरी जैसी होती है ,
तड़पाती है बहुत पर मिलती नहीं है |
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इस सरकारी नौकरी ने हद कर दी है ,
अपने घर से हमे बाहर कर दी है ,
चैन सुकून सब मेरा छीन लिया ,
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इरादा बुलंद रखो ,
सरकारी नौकरी तुम्हे देख सरमायेगी ,
कठिन मुश्किलों से जिस दिन निकल गए न ,
उस दिन वह तुम्हारी सफलता का ध्वजा भी लहरायेगी |
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ये सरकारी नौकरी बेरहम है जी ,
न जाने कितने मासूम लोगो की जान ,
तडपाके ले ली है जी |
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कुछ लोग तो दुब से जाते है ,
इस सरकारी नौकरी के पीछे ,
जब ना मिलती है लाख कोशिस के बाद ,
हसते हसते मौत को गले लगा लेते है |
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ये सरकारी नौकरी , अपनी कीमत समझती है जी ,
हम तो एक खिलौना है जी ,
हम खेलते है वह देखती है जी |
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ये सरकारी नौकरी भी कितनी सुन्दर है जी ,
कि हम नौकरी छोड़ अपना बिजनस सुरु नहीं करते है जी |
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इस सरकारी नौकरी ने तो जान ले ली है जी ,
उनसे जाके पूछो जो लगे काश्मीर के बार्डर पर ,
कलेजा अंदर तड़प रहा होता है ,
पर मुस्कान हर पल होठो रही है जी |
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